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कृष्ण ने राधा से पूछा - ऐसी एक जगह बताओ जहाँ मैं नहीं हूँ ...... राधा ने मुस्कुरा के कहा - बस मेरे नसीब में .... फिर राधा ने कृष्ण से पूछा - हमारा विवाह क्यों नहीं हुआ? कृष्ण ने मुस्कुरा कर कहा - राधे! विवाह के लिये दो लोगों का होना आवश्यक है ....हम तो एक हैं ......

Tuesday, March 5, 2013

रिक्तता


15 comments:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर रचना!
आपका ब्लॉग ब्लॉगमंच में जोड़ दिया है!
सदर!

Ramakant Singh said...

आपकी खुबसूरत भावनाओं को समर्पित

कर बंद मुट्ठी ले समेट सारा जहां इसमे
हद से निकलकर तू लगा अपना बसेरा

Anju (Anu) Chaudhary said...

मन के खूबसूरत अहसास

Ramakant Singh said...

बहुत ही सुन्दर अद्भुत निःशब्द करती अभिव्यक्ति करती

अज़ीज़ जौनपुरी said...

खुबसूरत भावना सुन्दर अहसास

कालीपद "प्रसाद" said...

खूबसूरत अहसास
latest postमहाशिव रात्रि
latest postअहम् का गुलाम (दूसरा भाग )

Dinesh pareek said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति!

महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ !
सादर

आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
अर्ज सुनिये

Dinesh pareek said...

बहुत खूब सार्धक लाजबाब अभिव्यक्ति।
महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ ! सादर
आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
अर्ज सुनिये
कृपया मेरे ब्लॉग का भी अनुसरण करे

Dinesh pareek said...

बहुत खूब सार्धक लाजबाब अभिव्यक्ति।
महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ ! सादर
आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
अर्ज सुनिये
कृपया मेरे ब्लॉग का भी अनुसरण करे

mark rai said...

सुंदर अभिव्यक्ति....

Yashwant R. B. Mathur said...

बहुत ही बढ़िया।


सादर

dr.mahendrag said...

तुम्हें समेटने में असमर्थ सी रह जातो हूँ,खाली हाथ..........

सुन्दर सी अभिवव्क्ति, कोमल सा अहसास ....अच्छी रचना

शिवनाथ कुमार said...

बहुत सुन्दर
भावपूर्ण रचना
साभार !

Tamasha-E-Zindagi said...

बहुत खूबसूरत रचना |

कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page

abhi said...

वाह..बहुत सुन्दर!!