आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा आज रविवार के चर्चा मंच पर भी की गई है! यदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।
समझ नहीं पा रहा की तारीफ किस बात की पहले करू? भावों की चित्रों की या आज के इस भौतिकवादी निष्ठुर समय में भी इस विचार की कि "एक साधारण महिला, जो ......रिश्ते-नाते व मित्रता का महत्व जानती है.......परन्तु परिवार से बढ़ कर कुछ नहीं ..." इस भावना को प्रणाम. यदि मीडिया और ब्लॉग जगत में अन्ना हजारे के समाचारों की एकरसता से ऊब गए हों तो मन को झकझोरने वाले मौलिक, विचारोत्तेजक आलेख हेतु पढ़ें अन्ना हजारे के बहाने ...... आत्म मंथन http://sachin-why-bharat-ratna.blogspot.com/2011/08/blog-post_24.html
Your thoughts are reflection of mass people. We invite you to write on our National News Portal. email us Email us : editor@spiritofjournalism.com, Website : www.spiritofjournalism.com
34 comments:
बहुत ही कोमल रचना ... समर्पण से भरा
एकाकार में
एक आकार
साकार हुआ।
एक खूबसूरत अहसास को आपने उतारा है...
हृदयस्पर्शी..... मन के समर्पण को सामने रखती रचना
खूबसूरत अहसासों को पिरोती हुई एक सुंदर भावमयी रचना. आभार.
सादर,
डोरोथी.
बहुत सशक्त प्रस्तुति।
बहुत ही बढ़िया।
सादर
बहुत अच्छी कविता है. अपने मन के भावों का बहुत सुंदर शब्दों में प्रकटीकरण है. पढ़कर अच्छा लगता है. यूँ ही लिखती रहो.
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा आज रविवार के चर्चा मंच पर भी की गई है!
यदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।
सचमुच एकाकार...
बहुत खुबसूरत एहसासों से भरी कविता...
सादर बधाई....
बहुत ही सुन्दर और प्यारी रचना |
मेरी नई रचना जरुर देखें |अच्छा लगे तो ब्लॉग को फोलो भी कर लें |
मेरी कविता: उम्मीद
कल 24/08/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
तुम ही तुम हो या मैं ही मैं ..एकाकार का एहसास बहुत भावपूर्ण लगा ..सुन्दर अभिव्यक्ति
सुन्दर अभिव्यक्ति
शब्दों को सुन्दरता से पिरोया गया है
आभार
बहुत कोमल अभिव्यक्ति, बहुत बधाई अनिता जी.
सुन्दर रचना .सुन्दर अभिव्यक्ति
बहुत उम्दा..
Atisundar rachana...aabhar
अनीता जी ,
नमस्कार,
आपके ब्लॉग को "सिटी जलालाबाद डाट ब्लॉगसपाट डाट काम" के "हिंदी ब्लॉग लिस्ट पेज" पर लिंक किया जा रहा है|
man ko chhoo lene vali bhavabhivyakti aabhar
BHARTIY NARI
Nice post .
Thanks .
अच्छा लगा आपको पढना ...
सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति.
एकाकार का अनुपम अहसास कराती हुई.
कुछ अक्षर फॉण्ट की वजह से समझने में
दिक्कत हो रही हैं.
आभार.
मेरे ब्लॉग पर आप आयीं,बहुत अच्छा लगा.
एक बार फिर से आईयेगा.
भक्ति व शिवलिंग पर अपने सुविचार प्रस्तुत
करके अनुग्रहित कीजियेगा मुझे.
समझ नहीं पा रहा की तारीफ किस बात की पहले करू? भावों की चित्रों की या आज के इस भौतिकवादी निष्ठुर समय में भी इस विचार की कि "एक साधारण महिला, जो ......रिश्ते-नाते व मित्रता का महत्व जानती है.......परन्तु परिवार से बढ़ कर कुछ नहीं ..." इस भावना को प्रणाम.
यदि मीडिया और ब्लॉग जगत में अन्ना हजारे के समाचारों की एकरसता से ऊब गए हों तो मन को झकझोरने वाले मौलिक, विचारोत्तेजक आलेख हेतु पढ़ें
अन्ना हजारे के बहाने ...... आत्म मंथन http://sachin-why-bharat-ratna.blogspot.com/2011/08/blog-post_24.html
kya bat hi ek dam se dil ko chhu hai.
कोमल अहसासों की बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति..
ati sundar..
pustak ki badhayee ho...
- राधे! विवाह के लिये दो लोगों का होना आवश्यक है ....हम तो एक हैं ......
amazing
बहुत कोमल अहसास..बहुत सुन्दर
कविता तो अच्छी है ही..प्रस्तुति बेहद आकर्षक है.
यादो के बवंडर में मै ही
मै में खो कर ....तुम हो गई हूँ ...............अनु
कुछ वक़्त ब्लॉग से दूर रही उसके लिए माफ़ी चाहूगी ...
सधे शब्दों के साथ बहुत खूबसूरत कविता
बहुत अच्छी कविता
wahhhhhhhhhhhh bahut badhiya...
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