कोई भी रिश्ता उम्र का मोहताज नहीं होता ..गर्माहट कम या ज्यादा हो सकती है ,सच में मन छूने वाली रचना ....इतने प्यार से आपने जुड़ने को कहा और मैं जुड़ गई आपके साथ :-)
यह कविता भी पसंद आई...अच्छा लगा आपका ब्लॉग..लेकिन जिस चीज़ ने मुझे सबसे ज्यादा खुश किया वो ये था "कृष्ण ने राधा से पूछा - ऐसी एक जगह बताओ जहाँ मैं नहीं हूँ ...... राधा ने मुस्कुरा के कहा - बस मेरे नसीब में .... फिर राधा ने कृष्ण से पूछा - हमारा विवाह क्यों नहीं हुआ? कृष्ण ने मुस्कुरा कर कहा - राधे! विवाह के लिये दो लोगों का होना आवश्यक है ....हम तो एक हैं ......"
अनीता जी सबसे पहले तो आपको मेरे ब्लॉग तक आने और कमेन्ट का लिए धन्यवाद. ....प्रस्तुत रचना में अपनेपन की कोमल प्यारभरी भावनाओं को बहुत ही सुन्दर ढंग से पिरोया है आपने, जो मन को भा गया.. एक सच्चे जीवन साथी की यही तो पहचान है की वह ताउम्र समर्पित होकर जीवन की नैया पार लगाये.. बहुत ही प्रेरक प्रस्तुति के लिए आभार.. नवरात्री की हार्दिक शुभकामनायें ..
आपका ब्लॉग बहुत सुंदर है, और कविता भी, बधाई स्वीकारें ! आपकी प्रोफाइल ......बारिश, गुलाब, समुंदर, पहाड़ी नदी, पहाड़, बदली, उगता व डूबता सूरज,निश्छल बच्चे की मुस्कान और भी ना जाने क्या-क्या आकर्षित करता है. परन्तु परिवार से बढ़ कर कुछ नहीं ... जी हां ,मेरे भी बिलकुल यही विचार हैं... कृपया मेरे ब्लॉग्स पर भी आएं- http://ghazalyatra.blogspot.com/ http://varshasingh1.blogspot.com/
मेरे जन्म-दिवस के दिन लिखी गयी कविता को आज दस दिन बाद पढ़ पाया....क्यूंकि यहाँ आज ही तो आया....चुगली करने वाली सखियाँ....सिर्फ चुगली नहीं करती.....लिखती भी अच्छा हैं....यह आज मुझे समझ में आया....खूब आगे बढिए.....बढ़ते जाईये....
आपकी टिप्पणी सहेज दी गई है और ब्लॉग स्वामी की स्वीकृति के बाद दिखने लगेगा......ye baat bhayi theek nahin hai....padhne vale ko uske adhikaar se vanchit mat karo...chaahe vo jaisa bhi ho....!!
You really write well...a nice blog and all poems are very beutifully written! Got to read your poems after a long time...(hardly logging on orkut these days).
27 comments:
बेहतरीन।
सादर
उम्र के इस पड़ाव के लिए ये कविता ....बहुत खूब ...सधे शब्द ....मन की अभिव्यक्ति को व्यक्त करते है
बहुत सुन्दर प्रस्तुति है,अनीता जी.
मधुर भावों को सुन्दर ढंग से पिरोया
है आपने.
सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.
मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.
आपका इंतजार है.
आदरणीया अनीता जी यह एक उत्कृष्ट कविता है और यह जानकर और अधिक खुशी हुई कि आप अपने ही शहर में हैं |आपका बहुत -बहुत आभार 09415898913
आदरणीया अनीता जी यह एक उत्कृष्ट कविता है और यह जानकर और अधिक खुशी हुई कि आप अपने ही शहर में हैं |आपका बहुत -बहुत आभार 09415898913
कोमल भावों से ओय प्रोत सुन्दर रचना ...
अनीता जी. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति है,बधाई..
"अभिव्यंजना" मे आप का स्वागत है...
सुन्दर प्रस्तुति, बधाई,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
खुबसूरत एहसास ...
सुगढ़ रचना.... उत्कृष्ट भावों से सजी....
सादर...
वाह ! लाज़वाब...रचना पढते लगा कि जैसे में अपनी कहानी पढ़ रहा हूँ. कोमल अहसासों का सजीव और भावमयी चित्रण...एक उत्कृष्ट रचना..बधाई
बहुत सुंदर रचना.
आपको नवरात्रि की ढेरों शुभकामनायें.
आम जिंदगी ये उठाए लम्हों और शब्दों से दिल की बात कर डी आपने ... कमाल की रचना है ...
कोई भी रिश्ता उम्र का मोहताज नहीं होता ..गर्माहट कम या ज्यादा हो सकती है ,सच में मन छूने वाली रचना ....इतने प्यार से आपने जुड़ने को कहा और मैं जुड़ गई आपके साथ :-)
यह कविता भी पसंद आई...अच्छा लगा आपका ब्लॉग..लेकिन जिस चीज़ ने मुझे सबसे ज्यादा खुश किया वो ये था
"कृष्ण ने राधा से पूछा - ऐसी एक जगह बताओ जहाँ मैं नहीं हूँ ...... राधा ने मुस्कुरा के कहा - बस मेरे नसीब में .... फिर राधा ने कृष्ण से पूछा - हमारा विवाह क्यों नहीं हुआ? कृष्ण ने मुस्कुरा कर कहा - राधे! विवाह के लिये दो लोगों का होना आवश्यक है ....हम तो एक हैं ......"
वाह!!! दिल खुश हो गया!!
बहुत सुंदर। ऐसा लगा किसी ने हमारे ही मन की बात आहिस्ते से कह दी है।
vaah bahut khoobsurat bhaav.shreshth mansabhivyakti.
bahut bahut aabhar aap mere blog par aai main to aapse pahle se hi judi hui hoon.
अनीता जी सबसे पहले तो आपको मेरे ब्लॉग तक आने और कमेन्ट का लिए धन्यवाद.
....प्रस्तुत रचना में अपनेपन की कोमल प्यारभरी भावनाओं को बहुत ही सुन्दर ढंग से पिरोया है आपने, जो मन को भा गया.. एक सच्चे जीवन साथी की यही तो पहचान है की वह ताउम्र समर्पित होकर जीवन की नैया पार लगाये.. बहुत ही प्रेरक प्रस्तुति के लिए आभार..
नवरात्री की हार्दिक शुभकामनायें ..
आपका ब्लॉग बहुत सुंदर है, और कविता भी, बधाई स्वीकारें !
आपकी प्रोफाइल ......बारिश, गुलाब, समुंदर, पहाड़ी नदी, पहाड़, बदली, उगता व डूबता सूरज,निश्छल बच्चे की मुस्कान और भी ना जाने क्या-क्या आकर्षित करता है. परन्तु परिवार से बढ़ कर कुछ नहीं ... जी हां ,मेरे भी बिलकुल यही विचार हैं...
कृपया मेरे ब्लॉग्स पर भी आएं-
http://ghazalyatra.blogspot.com/
http://varshasingh1.blogspot.com/
मेरे जन्म-दिवस के दिन लिखी गयी कविता को आज दस दिन बाद पढ़ पाया....क्यूंकि यहाँ आज ही तो आया....चुगली करने वाली सखियाँ....सिर्फ चुगली नहीं करती.....लिखती भी अच्छा हैं....यह आज मुझे समझ में आया....खूब आगे बढिए.....बढ़ते जाईये....
आपकी टिप्पणी सहेज दी गई है और ब्लॉग स्वामी की स्वीकृति के बाद दिखने लगेगा......ye baat bhayi theek nahin hai....padhne vale ko uske adhikaar se vanchit mat karo...chaahe vo jaisa bhi ho....!!
सुंदर ...गहरे उतरते मन के भाव.....
Hi Anitaji!
You really write well...a nice blog and all poems are very beutifully written!
Got to read your poems after a long time...(hardly logging on orkut these days).
Sangita Passey
बहुत अच्छा लिखा है ! आपको शुभकामनाएं !
Behtreen!
ati sunder.....
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